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सैरात

आज भी जाति, रंग और भेदभाव में फंसी हमारी मानसिकता!

मुझे आज भी याद है वो कांटे की तरह चुभने वाला नजारा  मुझे जो शिवली गांव के स्कूल में देखने को मिला. जहां पर बच्चे ये गाना गाकर एक दूसरे को चिढ़ाते थे, ‘एक वाला एक्का, दो वाला दुल्हिन, तीन वाला तेली, चार वाला चमार और पांच वाला पंडित.’
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